बाल गणेश और घमंडी चंद्रमा को श्राप की कथा
बाल गणेश और घमंडी चंद्रमा की कथा एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक दिन भगवान गणपति का जन्मदिन था. जन्मदिन का अवसर था इसलिए बाल गणेश बेहद खुश थे. कैलाश पर्वत पर खूब धूमधाम हो रही थी. उसी दिन , धन के देवता कुबेर का आमंत्रण , शिव जी के पास आया. शिवजी कुबेर के मन की अवस्था जानते थे , वे जानते थे कि वह अपने ऐश्वर्य का दिखावा करना चाहता है. उन्होंने गणपति जी को कुबेर के यहां दावत पर जाने के लिए कहा. अपने गणपति जी तो मिठाइयों के शौकीन है . खुशी-खुशी तैयार हो गए, और पहुँच गए - कुबेर के यहाँ . कुबेर ने दावत दी थी इसलिए इंतजाम भी बड़े पैमाने पर किया गया था. तरह-तरह के अलौकिक पकवान बनाए जा रहे थे. विशेष रूप से मिठाइयां बहुत ही लाजवाब थी. पूरे वातावरण में तरह-तरह के पकवानों की सौंधी-सौंधी, भीनी-भीनी महक तैर रही थी. विशेष रुप से गणपति जी के लिए मोदक बनाए जा रहे थे , उनमें मेवे, मिश्री भरे जा रहे थे. लड्डूयों कि खुशबू से बाल गणपति जी के नथने फङकने लगे और मुंह में पानी आ गया. कुबेर ...