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Showing posts from July, 2020

ORIGIN OF JYOTISH KNOWLEDGE- A HINDI STORY FROM PURAN

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ज्योतिष ज्ञान के उद्भव की कहानी      एक बार भगवान् नारायण क्षीर सागर में शेष शय्या पर विश्राम कर रहे थे , लक्ष्मी चरण दबा रही थीं , बङा ही मनोरम दृश्य था.    उसी समय महर्षि श्रेष्ठ भृगु वैकुण्ठ पहुंचे। भृगु किसी कारणवश बहुत क्रोध में थे और विष्णु भगवान से तुरंत मिलना चाहते थे। भगवान के द्वारपाल जय-विजय ने उन्हें प्रणाम कर कहा , " नारायण इस समय विश्रामाधीन हैं अत: उन तक आपको जाने देना संभव नहीं है।" महर्षि रुष्ट हुए व जय-विजय को शाप दिया, "तुम्हें मुझे रोकने के अपराध में तीन बार राक्षस योनि में जन्म लेकर पृथ्वी पर रहना होगा।" जयविजय मौन नतमस्तक खड़े हो गए ।       इधर क्रोध के अभिभूत भृगु उस स्थान पर जा पहुंचे, जहाँ भगवान शयन कर रहे थे। विष्णु को शयन करते देख भृगु ऋषि का क्रोध उमड़ पड़ा , उन्होंने सोचा , " मुझे देख विष्णु ने जान-बूझकर आंखें मूंद ली हैं। मेरी अवज्ञा कर रहे हैं।" क्रोध में उफनते ऋषि ने उसी समय श्री विष्णु के वक्षस्थल पर अपने दाएं पैर का प्रहार किया , विष्णुजी की आंखें खुल गईं , वे उठ खङे हुए और हाथ जोड़ प्रार्थना करते बोले,"

पत्नी का भय -A HINDI STORY FROM SHREE PURAN

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पत्नी का भय क्या आप अपनी पत्नी से डरते हैं ? इस बात पर झिझकने या शरमाने कि कोई आवश्यकता नहीं है. ऐसा तो पौराणिक काल से होता आया है. क्या आपको विश्वास नहीं हो रहा है ? तो लीजिए... प्रस्तुत है श्री पुराण से एक रोचक कथा...       सदा सर्वदा से संसार में स्त्री के वशीभूत जो-जो लोग हैं और जो-जो लोग पहले हो चुके हैं, उन सब में सर्वश्रेष्ठ है- शैव्या का पति राजा ज्यामघ. राजा ज्यामघ एक शक्तिशाली राज्य का प्रभुता संपन्न राजा था. राज्य में उसका बहुत   सम्मान और दबदबा था. उसके बाहुबल और चतुर राजनीति के सब कायल थे. प्रभु कि भरपूर कृपा थी उसपर, पर अहो भाग्य ! कोई संतान नहीं थी.       यूं तो राजा ज्यामघ का विवाह सही समय पर राजकुमारी शैव्या से हो गया था परन्तु काफी समय बीत जाने पर भी उन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हुआ था. वैद- हकीम, दबा-दारू, दुआ-प्रार्थना, झाङ-फूंक सब बेअसर साबित हो चुके थे. राजा ज्यामघ को संतान की अति इच्छा थी पर शैव्या से वह बहुत डरता था. बहुत बार संतान की इच्छा के कारण, दूसरा विवाह करने की सोची पर शैव्या के भय के कारण यह इच्छा, मन की मन में ही रह गई.      मन को