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Showing posts from April, 2021

Ganeshji aur Andhi budhiya mai ki chaturai ki kahani/गणेशजी और अंधी बुढ़िया माई कि चतुराई.

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  गणेशजी और अंधी बुढ़िया माई की कहानी    व्रत के लिए कथा 👉   गणेशजी और   अंधी बुढ़िया माई कि चतुराई   की एक प्रचलित लोककथा , जो व्रत-त्योहारों के समय कही-सुनी जाती है. लोककथा होने के बावजूद बडी सजीव व सच्ची कहानी लगती है.     बहुत समय पहले की बात है , एक गाँव में एक बुढ़िया रहती थी. उसकी आँखों से लगभग न के बराबर दिखता था   .   अंधी बुढ़िया   के परिवार में वह खुद और साथ में बेटा-बहू रहते थे. टूटी-फूटी मिट्टी-गारे और फूस की झोपडी थी. घोर गरीबी के बीच , छोटे-मोटे काम करके , वे लोग किसी तरह से अपना गुजर-बसर करते थे.           अंधी बुढ़िया गणेशजी   की बहुत बडी भक्त थी , दिन-रात ईश्वर के ध्यान में लीन रहती थी. नित्य नियम से आरती , वंदना , अर्चना-पूजा करती और प्रत्येक गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखती , रात्रि में चंद्रमा को अर्ध देकर ही अन्न ग्रहण करती.  उसका सारा जीवन बस अपने इष्ट को भजने में ही बीता. वह हमेशा कहती रहती ,  “ गणपति की सेवा , मंगल मेवा ”.      गणेशजी अंधी बुढ़िया   की भक्ति से बहुत प्रसन्न हो गए और बुढ़ियामाँ को दर्शन देकर बोले , “ मैं तेरी भक्ति से बहुत प्रसन्न हूँ , तुम्हें

बाल गणेश और घमंडी चंद्रमा को श्राप की कथा

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बाल गणेश और घमंडी चंद्रमा की कथा      एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक दिन भगवान गणपति   का जन्मदिन था. जन्मदिन का अवसर था इसलिए बाल गणेश बेहद खुश थे. कैलाश पर्वत पर खूब धूमधाम हो रही थी. उसी दिन , धन के देवता कुबेर का आमंत्रण , शिव जी के पास आया. शिवजी कुबेर के मन की अवस्था जानते थे , वे जानते थे कि वह अपने ऐश्वर्य का दिखावा करना चाहता है. उन्होंने गणपति जी को   कुबेर के यहां दावत पर जाने के लिए कहा. अपने गणपति जी तो मिठाइयों के शौकीन है .    खुशी-खुशी तैयार हो गए, और पहुँच गए - कुबेर के यहाँ .      कुबेर ने दावत दी थी इसलिए इंतजाम भी बड़े पैमाने पर किया गया था. तरह-तरह के अलौकिक पकवान बनाए जा रहे थे. विशेष रूप से मिठाइयां बहुत ही लाजवाब थी. पूरे वातावरण में तरह-तरह के पकवानों की सौंधी-सौंधी, भीनी-भीनी महक तैर रही थी. विशेष रुप से गणपति जी के लिए मोदक बनाए जा रहे थे , उनमें मेवे, मिश्री भरे जा रहे थे.   लड्डूयों कि खुशबू से बाल गणपति जी के नथने फङकने लगे और मुंह में पानी आ गया.       कुबेर की दावत में उन्होंने भरपूर  पकवान  खाए. ढेर सारी मिठाइयां खाने के बाद भी, उनका मन नह